जंगल में भी मनी दिवाली,
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जंगल में भी मनी दिवाली,
नाचे भालू बजा ke ताली ,
बन्दर ने भी दीप जलाये,कोयल कू-कू गीत गाये ,
रसगुल्ला खरगोश ने खाया,
बर्फी खा गयी बिल्ली काली ,
जंगल में भी मनी दिवाली.
शेर कर रहा लक्ष्मी पूजा,
हाथी का मुहं फिर भी सूजा,
उसको नहीं मिले पटाखे,
घर के अन्दर बाहर भागे,
जंगल में हलचल कर डाली,
जंगल में भी मनी दिवाली.
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
वाह.. वाह.. वाह वाह...... जंगल में भी मनी दिवाली....... सुंदर कविता
हैप्पी दिवाली
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