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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

सत्य वचन की महिमा

सत्य वचन की महिमा 

प्यारे बच्चों मानो मेरी कभी झूठ न तुम बोलो,
मुहं अपना तुम जब भी खोलो सच्ची बातें ही बोलो.


एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर  झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे.


[sabhi photo google se sabhar.]

इसीलिए कहती हूँ तुमसे जब भी अपना मुहं खोलो,
बिना डरे ही अपने मुख से सत्य वचन ही तुम बोलो.
                           शालिनी कौशिक 

9 टिप्‍पणियां:

मदन शर्मा ने कहा…

एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे.
सत्य वचन !

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बढिया बाल कविता

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाह, बढिया है बाल कविता

Shikha Kaushik ने कहा…

very right message .thanks

Vivek Jain ने कहा…

सुंदर सीख देती बालकविता,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

शालिनी जी सुन्दर भाव सच की महिमा बच्चों को सिखाती इसे हमने यों पढ़ा आप को कैसा लगा ?
एक झूठ जो तुम बोले तो झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जाल में बच्चों कभी निकल न पाओगे.

.बधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

shalini ji
bahut bahut hi achhi lagi aapki yah bal kavita .
bachchon ko sahi disha me prerit karne wali is post ke liye hardik badhai----
dhanyvaad
poonam

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

आदरणीय शालिनी कौशिकजी,

एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे

सुन्दर सन्देश देती रचना

संजय भास्‍कर ने कहा…

शालिनी जी,
नमस्कार !
.........सुन्दर सन्देश देती रचना