प्यारे बच्चों मानो मेरी कभी झूठ न तुम बोलो,
मुहं अपना तुम जब भी खोलो सच्ची बातें ही बोलो.
एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे.
[sabhi photo google se sabhar.] |
इसीलिए कहती हूँ तुमसे जब भी अपना मुहं खोलो,
बिना डरे ही अपने मुख से सत्य वचन ही तुम बोलो.
शालिनी कौशिक
9 टिप्पणियां:
एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे.
सत्य वचन !
बहुत बढिया बाल कविता
वाह, बढिया है बाल कविता
very right message .thanks
सुंदर सीख देती बालकविता,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
शालिनी जी सुन्दर भाव सच की महिमा बच्चों को सिखाती इसे हमने यों पढ़ा आप को कैसा लगा ?
एक झूठ जो तुम बोले तो झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जाल में बच्चों कभी निकल न पाओगे.
.बधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५
shalini ji
bahut bahut hi achhi lagi aapki yah bal kavita .
bachchon ko sahi disha me prerit karne wali is post ke liye hardik badhai----
dhanyvaad
poonam
आदरणीय शालिनी कौशिकजी,
एक झूठ अगर तुम बोले झूठे तुम कहलाओगे,
फंसकर झूठ के जल में कभी निकल न पाओगे
सुन्दर सन्देश देती रचना
शालिनी जी,
नमस्कार !
.........सुन्दर सन्देश देती रचना
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