पिंकी बिल्ली गई थी दिल्ली लेकर सूटकेस ,
सूटकेस में थे गहने कंगन, रिंग, नेकलेस ,
ऑटो में वो ज्यों ही बैठी साथ चढ़ा एक चोर ,
सूटकेस लेकर वो भागा , मचा जोर का शोर
पिंकी भागी उसके पीछे , मारा पीठ पे पंजा ,
चोर गिरा वही सड़क पर पापी नीच लफंगा ,
पिंकी ने फिर गला दबाकर उसको यूँ धमकाया ,
मैं हूँ मौसी शेर की बेटा ! बोल समझ में आया ,
चोर ने डरकर पकड़ लिए बिल्ली मौसी के पैर ,
ऐसी चपल-चतुर मौसी से रखना न बच्चो बैर !
शिखा कौशिक 'नूतन '
1 टिप्पणी:
अच्छी बाल कविता
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