'हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है '
नन्हे फरिश्तों
रामनवमी का पर्व आप सभी ने आनंद के साथ मनाया होगा .राम जी जब छोटे से थे तब उनकी माँ भी उन्हें लोरी सुनाकर सुलाती होगी जैसे आपकी माँ आपको सुलाती हैं .तो आज ये लोरी आप सभी के लिए -
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है ,
मीठी निंदिया के अर्णव में खुद को डुबोता है .
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
मखमल सा कोमल है लल्ला नाम है इसका राम ,
मैं कौशल्या वारी जाऊं सुत मेरा भगवान ,
ऐसा सुत पाकर हर्षित मेरा मन होता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
मुख की शोभा देख राम की चन्द्र भी है शर्माता ,
मारे शर्म के हाय ! घटा में जाकर है छिप जाता ,
फिर चुपके से मुख दर्शन कर धीरज खोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
स्वप्न अनेकों देख रहा है सुत मेरा निंद्रा में ,
अधरों पर मुस्कान झलकती राम के क्षण क्षण में ,
मधुर स्वप्न के पुष्पों को माला में पिरोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'
मौलिक व् अप्रकाशित
नन्हे फरिश्तों
रामनवमी का पर्व आप सभी ने आनंद के साथ मनाया होगा .राम जी जब छोटे से थे तब उनकी माँ भी उन्हें लोरी सुनाकर सुलाती होगी जैसे आपकी माँ आपको सुलाती हैं .तो आज ये लोरी आप सभी के लिए -
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है ,
मीठी निंदिया के अर्णव में खुद को डुबोता है .
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
मखमल सा कोमल है लल्ला नाम है इसका राम ,
मैं कौशल्या वारी जाऊं सुत मेरा भगवान ,
ऐसा सुत पाकर हर्षित मेरा मन होता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
मुख की शोभा देख राम की चन्द्र भी है शर्माता ,
मारे शर्म के हाय ! घटा में जाकर है छिप जाता ,
फिर चुपके से मुख दर्शन कर धीरज खोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
स्वप्न अनेकों देख रहा है सुत मेरा निंद्रा में ,
अधरों पर मुस्कान झलकती राम के क्षण क्षण में ,
मधुर स्वप्न के पुष्पों को माला में पिरोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'
मौलिक व् अप्रकाशित
2 टिप्पणियां:
बहुत बहुत सुंदर लोरी.....
बढिया,बहुत सुंदर
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