पापा हमको ''डॉगी '' ला दो
हम डॉगी संग खेलेंगे ;
उसको पुचकारेंगे जी भर
कभी गोद में ले लेंगे .
पूंछ हिलाएगा जब आकर
उसको हम सहलायेंगे ;
मिटटी में गन्दा होगा जब
उसको हम नहलायेंगे .
पापा हमको ...
बन्दर जब आयेंगे छत पर
डॉगी से भगवाएंगे ;
उश ..उश ..कर कूद कूद कर
उसको जोश दिलाएंगे
पापा हमको .....
उसको बाँहों में भर लेंगे
जब स्कूल से आयेंगे ;
हाथ मिलाना सिखलाएंगे
योगा भी करवाएंगे .
पापा हमको .....
शिखा कौशिक
13 टिप्पणियां:
क्या बात है बिलकुल सच शब्दों में उतार दिया है आभार.शिखा जी
Doggy to vakai pyara hai..
बहुत सुन्दर बच्चों को डोगी से बहुत प्यार होता है...
sundar
अच्छी लगी ये कविता...मुझे तो डॉगी से बहुत डर लगता है लेकिन मेरा छोटा भाई बिल्कुल ऐसे ही पापा से डॉगी लाने की ज़िद करता है... अब मैं उसे ये कविता ज़रूर सुनाउंगी।
बहुत सुन्दर...
bahut pyari rachna ,dogi ko is roop me pahle nahi dekha .wakai kaam ka hai dogi .
shalini ji
bahut bahut sundar v pyara laga aapka bal geet.
waqai padh kar aanand aa gaya.
bahut hi sunadr prastuti
bahut bahut badhai
poonam
shalini ji
bahut bahut hi sundar v pyara laga aapka yah bal geet.
sach me bachcho ko dogi se bahut hi pyar jo hai
bahut bahut badhi
poonam
रचना बहुत सुंदर लगीं
शिखा जी देवी की कृपा से आनंद आ गया सुन्दर बाल कविता हम भी बन्दर भागने के लिए उश उश करने लगे
सुंदर रचना कोमल भाव
बधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
बन्दर जब आयेंगे छत पर
डॉगी से भगवाएंगे ;
उश ..उश ..कर कूद कूद कर
उसको जोश दिलाएंगे
क्यूट फोटोस और प्यारी कविता
बहुत सुंदर
बच्चों को जल्दी याद भी हो जाएगी
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