फूलों जैसे कोमल मन के
तितली जैसे चंचल हैं ,
हम बच्चे हैं प्यारे-प्यारे
सदा ह्रदय से निर्मल हैं .
होंठों पर मुस्कान सजाये
उछल-कूद हम करते हैं ,
अपनी मीठी बोली से
सबका मन हर लेते हैं .
पापा के हम राज दुलारे
माँ की आँख के तारे हैं ,
हमको ही तो सच करने
अब उनके सपने सारे हैं
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
बहुत प्यारी कविता!
bahut sundar chitr bahut pyari kavita.badhai.
बहुत प्यारी कविता है।
शिखाजी बहुत ही सुन्दर बाल गीत .चित्र पर गीत है या गीत पर चित्र है .?सोते बच्चे की हर्ष हंसावन तस्वीर गज़ब की है .शिशु ज्यादातर स्वप्न रत ही रहतें हैं शुरु में तो सोते भी १८ घंटा है दिन भर में .बच्चे के स्वप्निल संसार का भावी बिम्ब पिरोये है ये गीत .लय ताल बद्ध.
बहुत प्यारी कविता....शिखा जी
शालिनी जी हर पंक्ति लाजबाब आनंद आ गया बच्चे बन हम भी मुस्कुरा दिए
.बधाई हो
शुक्ल भ्रमर ५
होंठों पर मुस्कान सजाये
उछल-कूद हम करते हैं ,
अपनी मीठी बोली से
सबका मन हर लेते हैं .
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