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सोमवार, 3 जनवरी 2011

मैं नाना के घर जाऊंगा

प्यारी मम्मी फोन मिला दो 
नानी संग बतियाऊंगा ;
या मामा को तुम्ही बुला दो 
मैं नाना के घर जाऊंगा .
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नाना मुझको गोद उठाकर 
कितनी सैर कराते हैं!
नानी संग फिर हमसब मिलकर 
चाट- पकौड़ी खाते हैं ,
तुम चलना चाहोगी तो 
मैं तुम को भी ले जाऊंगा .
प्यारी मम्मी फोन मिला दो 
मैं नाना के घर जाऊंगा .
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मामा अपनी स्कूटी पर 
मुझे घुमाने जाते हैं ,
टाफी-चौकलेट और खिलोने
मनमर्जी दिलवाते हैं,
अपनी टाफी में से कुछ
मैं तुमको भी खिलवाऊंगा .
प्यारी मम्मी फोन मिला दो  
मैं नाना के घर जाऊंगा .
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5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

bahut achchhi bhavabhivyakti.....bal sulabh kavita likhne me aap lajawab hain..

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत अच्छी कविता है शिखा दीदी .. मैं अभी कुछ दिन नाना घर जाकर ही आया हूं....

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत प्यारी रचना |
आशा

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

सक्रांति ...लोहड़ी और पोंगल....हमारे प्यारे-प्यारे त्योंहारों की शुभकामनायें......सादर

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत सुन्दर शब्दों का मीठा सा ताना बाना !
सार्थक रचना !