बच्चे भगवान का स्वरुप होते हैं.उनके संसार में दुःख ,निराशा का कोई स्थान नहीं होता और न ही होना चाहिए.बच्चों के साथ रहकर सभी अपने दुःख भूल जाते हैं.भगवान के इन्ही नन्हे फरिश्तों के लिए ये ब्लॉग........
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बुधवार, 20 जुलाई 2011
पापा हमको ''डॉगी '' ला दो
शुक्रवार, 15 जुलाई 2011
सत्य वचन की महिमा
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गुरुवार, 14 जुलाई 2011
हम बच्चे हैं प्यारे-प्यारे
शनिवार, 2 जुलाई 2011
नहीं टालते बात बड़ों की
नहीं टालते बात बड़ों की
बारिश के दिन शुरू हुए थे
टर्र टर्र टर्रराता था ;
टिंकू मेढक उछल-उछल कर
अपने पर इतराता था .
उसकी मम्मी उसे रोकती
उनपर वो चिल्लाता था ;
मम्मी की इस रोक-टोक पर
उसको गुस्सा आता था ,
मम्मी कहती गीली मिटटी
कहीं फिसल न तुम जाना !
टिंकू कहता बड़ा अकड़कर
क्या मुझको बुद्धू माना ?
लेकिन एक दिन खेल-खेल में
टिंकू गिरा फिसलकर था ;
चोट लगी और दर्द हुआ
तब रोया खूब फफक कर था ,
मम्मी ने फिर गोद बिठाकर
प्यार से सिर को सहलाया ;
नहीं टालते बात बड़ो की
बड़े लाड़ से समझाया ,
टिंकू ने फिर कान पकड़कर
मम्मी से ये बात कही
आज समझ में आया मुझको
गलत था मैं और आप सही .
शिखा कौशिक
http://shikhakaushik.blogspot.com