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मंगलवार, 21 जून 2011

टॉमी -जॉनी


टॉमी -जॉनी 
दो चूहे थे टॉमी-जॉनी 
हर पल करते थे शैतानी;
कभी किसी के कपडे काटें 
कभी वो रोटी लेकर भागें ;
एक दिन आ गयी बिल्ली रानी 
दोनों को हो गयी परेशानी ;
कैसे इससे जान बचाएं ?
कैसे फिर से धूम मचाएं ?
इतने में आ गया गृह स्वामी ;
भागी देख के बिल्ली रानी ,
चूहों ने फिर मन में ठानी 
नहीं करेंगे अब मनमानी ;
गृह स्वामी ने हमें बचाया 
हमको है अहसान चुकाना 
कपडा-कागज न काटेंगे 
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे 
अच्छा हमको सभी कहेंगे .
                          शिखा कौशिक 

7 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

गृह स्वामी ने हमें बचाया
हमको है अहसान चुकाना
कपडा-कागज न काटेंगे
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे
अच्छा हमको सभी कहेंगे
likha to bahut achchha hai par choohe aise kahan hote hain .

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

अच्छे कम करोगे तो सब अच्छा कहेंगें ही ..टॉमी जॉनी.... मजेदार कविता है शालिनी दी ..

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत ही बढिया ये बाल रचना।

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बहुत सुंदर बाल कविता.

S.N SHUKLA ने कहा…

swabhavik , saral shabdon men sundar rachana

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 ने कहा…

शालिनी जी अभिवादन

बच्चों को सुन्दर सीख देती रचना



कपडा-कागज न काटेंगे
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे
अच्छा हमको सभी कहेंगे

शुक्ल भ्रमर ५

Unknown ने कहा…

बहुत सुन्दर शालिनी र्दी . . . मैं ब्लॉग्स पढ़ने वाले हर सख्श से अनुरोध करूँगा कि इस बाल कविता को अपने परिवार के सभी नन्हें मुन्ने बच्चों को सुनायें ताकि उन्हें अच्छी सीख मिले।