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सोमवार, 6 जून 2011

छुट्टी आई छुट्टी आई



                                                                           ''गूगल से साभार ''
छुट्टी आई छुट्टी आई 
नाना के घर जायेंगे ;
मामा और मौसी के संग 
मिलकर धूम मचाएंगे   .

मामा से साईकिल सीखेंगे ,
मौसी संग कैरम खेलेंगे ,
नानी के संग काम करेंगे
चकले पर पूरी बेलेंगे .
नाना-नानी मम्मी -मौसी 
के संग मिलकर खायेंगे .
छुट्टी  आई .........

नाना का हम हाथ पकड़कर 
फिर बाजार को जायेंगे ,
गुब्बारे और टॉफी चौकलेट 
लेकर घर को आयेंगे ,
टॉफी हम देंगे मौसी को 
मामा से   गुब्बारे फुलवायेंगे.
छुट्टी  आई छुट्टी आई ..

                                      शिखा कौशिक 


8 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया बाल रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

उच्चारण पर आना छोड़ दिया है तुमने!
ठीक ही तो है,
जहाँ रोज-रोज लिखा जाएगा वहाँ आयेगा ही कौन?

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

बहुत सुंदर कविता ....

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

छुट्टी के तो मजे ही मजे हैं..सुन्दर गीत..बधाई.


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'पाखी की दुनिया ' में आपका स्वागत है !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

सुंदर बाल रचना

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत बढ़िया बाल रचना|

सुरेश राजपूत ने कहा…

such yeh sahi baat hai jab break hota hai to sub ko hi bahut maaza aata hai, or bachoo ki kiya baat karey bachey to hoteyy hi acchay or sacchay . bahut acchi rachna hai

SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5 ने कहा…

छुट्टियों में नानी मामा के घर भाग जाने का गजब मजा होता था अब तो बच्चे बेचारे टिउसन और कोचिंग से बच ही नहीं पाते

हमें तो शालिनी जी आप ने बचपन में भेज दिया -सुन्दर

शुक्ल भ्रमर ५