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मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

मेरी दादी

मेरी दादी बड़ी निराली ;
रखती हर ताले की ताली ,
उनके आगे पूंछ हिलाते ;
बन्दर ,कुत्ता ,बिल्ली काली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज एक बन्दर आया ;
दादी को उसने धमकाया ,
दादी ने भी दम दिखलाया ;
उठा के लाठी उसे भगाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी करती रखवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज माँ! ने मुझे डांटा   ;
मार दिया था गाल पे चांटा ,
दादी ने माँ! को हडकाया ;
गोद बिठाकर मुझे चुपाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी है दिलवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
[दादी बहुत अच्छी होती है .सभी बच्चों को उनसे न केवल प्यार करना चाहिए बल्कि उनका सम्मान भी करना चाहिए .]
                                                   शिखा कौशिक

6 टिप्‍पणियां:

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

वाह शिखा दी .... मजेदार कविता और प्यारी सी सीख..... बहुत अच्छा लगा .... थैंक यू

रंजना ने कहा…

वाह...मन लुभा लिया आपकी इस प्यारी रचना ने...

अनुपमा पाठक ने कहा…

sundar!

Shalini kaushik ने कहा…

sundar prastuti.achchhi bhavpoorn rachna.....

Shikha Kaushik ने कहा…

thanks a lot for apreciation.

ManPreet Kaur ने कहा…

very nice, acha laga pad kar..

mere blog par bhi kabhi aaiye
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