दिव्यपुर नाम क़ा एक नगर था जिसका राजा सौम्य सिंह बहुत न्याय-प्रिय था.उसका राज्य खुशहाल था तथा प्रजा सुखी थी.किसी को किसी प्रकार की कमी नहीं थी .इसी प्रकार सुख पूर्वक दिन व्यतीत हो रहे थे तभी दिव्य्पुर के एक गॉंव सोमपुरी के जंगल में खूखार शेर आ गया
जो दिन रात कोई न कोई जानवर या मानव पकड़कर ले जाता तथा खा जाता था.उसके डर से लोग गॉंव छोड़कर दूसरे गॉंव जाने लगे. राजा ने जब ऐसी स्थिति देखी तो उस ने पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी क़ि जो भी शेर को मारेगा
उसे चार सो सोने की मुद्राये इनाम में दी जाएँगी . सोमपुरी में रामदास;कृष्ण चंद ;चन्द्रिका सिंह नाम के तीन मित्र रहते थे.वे तीनो बहुत गरीब थे.उन्होंने सोचा की 'वैसे भी हम गरीबी से तंग आ गए है और इसप्रकार जीना तो मौत से भी बदतर है क्यों न हम जंगल में जाकर शेर को मार डाले और अगर वह हमे खा भी जाये तो कम से कम हम इस गरीबी के जीवन से तो छूट जायेगे. अब उन्होंने किसी प्रकार तीर-कमान क़ा इंतजाम किया तथा जंगल की ओर चल दिए.दोपहर होने पर वे एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे तभी वह शेर वंहा आ पहुंचा. रामदास कमान उठा लाया व् कृष्ण चंद तीर किन्तु उन्हें यह चलाना नहीं आता था.केवल चन्द्रिका सिंह को तीर चलाना आता था.उसने रामदास से कमान लेकर व् कृष्ण चंद से तीर लेकर शेर पर तुरंत चला दिया .वह तीर सीधा जाकर शेर के लगा जिससे वह मारा गया. शेर को मरा हुआ देखकर तीनों के मन में खोट आ गया कि चार सो सोने कि मुद्राएँ मुझे ही मिलनी चाहियें.वे तीनों झगड़ने लगे तथा इसके समाधान के लिए राजा के पास पहुँच गए.राजा ने उनकी समस्या सुनी तथा बोले- रामदास व् कृष्ण चंद के तीर-कमान से ही शेर मारा गया है किन्तु यदि चन्द्रिका सिंह को तीर कमान चलाना नहीं आता होता तो न तो शेर मरता अपितु तुम तीनों ही मारे जाते. अत: शेर को मारने में सबसे बड़ा योगदान चन्द्रिका सिंह क़ा ही होने के कारण उसे तीन सो सोने की मुद्राये प्रदान की जाती हैं;चूँकि रामदास व् कृष्ण चंद ने भी सहयोग किया है इसलिए उन्हें भी पचास-पचास सोने की मुद्राये प्रदान की जाती हैं. राजा क़ा फैसला सुनकर तीनों संतुष्ट हो गए तथा राजा की प्रशंसा करते हुए अपने गॉंव को चल दिए.
shikha kaushik
3 टिप्पणियां:
बहुत बढिया,
बहुत सुन्दर कहानी!
शिक्षा प्रद भी!
बहुत उम्दा प्रस्तुति!
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