
काम पप्पा ने कितना चंगा किया ,
लाकर मुझको ये प्यारा तिरंगा दिया !
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इस तिरंगे की शान निराली बड़ी ,
इसको छत पर फहराने की हसरत चढ़ी ,
वानर दल से मैंने पंगा लिया !........................................................
जब फहरता है ताली बजाता हूँ मैं ,
मम्मी-पप्पा को पास बुलाता हूँ मैं ,
मैंने अब न कोई भी दंगा किया !
शिखा कौशिक 'नूतन '
4 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (23-06-2014) को "जिन्दगी तेरी फिजूलखर्ची" (चर्चा मंच 1652) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
जब फहरता है ताली बजाता हूँ मैं ,
मम्मी-पप्पा को पास बुलाता हूँ मैं ,
मैंने अब न कोई भी दंगा किया !
अच्छे बच्चे न दंगा न पंगा करते हैं
हमारी शान है तिरंगा
सुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - १३ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
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