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बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

न हो पाए जंगल में कोई फाइट


विक्की घोडा तेज़ दौड़ता ;

खुद पर था इतराता ,

हिन्-हिनाकर जोर-जोर से ;

हाथी पर रौब जमाता !

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हाथी ने फिर अर्जी लिखकर ;

शेरू से करी शिकायत ,

जंगल के राजा ने रखी ;

जंगल में पंचायत !

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विक्की बोला इतराने का

मुझको पूरा हक़ है ,

हाथी भी चिंघाड़ के बोला

तू तो नालायक है !

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दोनों की तू-तू मैं मैं से

शेरू का सिर चकराया ,

चुप हो जाओ दोनों अब तुम

जोर से था चिल्लाया !

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सुन दहाड़ राजा की दोनों ;

एक दम से गए दहल ,

पंचायत में सन्नाटा था ;

सब थे गए संभल !

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एक दहाड़ भरकर शेरू ने ;

विक्की को समझाया ,

खा जाऊंगा पल भर में मैं ;

जो आगे इतराया !

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हाथी दद्दा बड़े काम के ;

झुककर करो सलाम ,

मिलजुलकर रहना है तुमको ;

इस का रखो ध्यान !

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आगे न हो पाए

जंगल में कोई फाइट,

विक्की बोला पूंछ हिलाकर ,

बॉस यु आर राइट !


शिखा कौशिक 'नूतन'

1 टिप्पणी:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत ही सुंदर बाल रचना