आया फिर से आजादी का दिन ये प्यारा ,
चहुँ दिशा में गूँज रहा ''जयहिंद' का नारा .
हाथ तिरंगा लेकर गली-गली में घूमें ,
जश्न मनाएं आओ मिलकर हम सब झूमें .
आज शहीदों को झुक कर हम नमन करेंगे
याद शहादत करके आँखें नम कर लेंगे .
प्रण इतना हमको करना है अब ये हँसकर;
प्राण न्यौछावर कर देंगे हम 'भारत माँ' पर .
छोड़ आपसी द्वेष सभी को गले लगा लो ;
बड़ी कीमती आजादी है इसे संभालो .
शिखा कौशिक
5 टिप्पणियां:
bahut sundar prastuti.badhai.
भूल हो गई थी शिखा जी!
चर्चा मंच पर आपकी जगह आपकी बहन जी के ब्लॉग का लिंक दे दिया था!
इनके लिंक के साथ ही आपके भी ब्लॉग की इस पोस्ट को चर्चा में जोड़ दिया है!
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आजादी की 65वीं सालगिरह की शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर देशभक्ति से ओत-प्रोत भावपूर्ण रचना....
बहुत सुन्दर. बधाई स्वीकारें
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना..
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