सुपर सोनिक युग की नानी
हमारी नानी का जवाब नहीं है ;
उन जैसा दुनिया में कोई और नहीं है ;
सुबह उठकर वे मॉर्निग वॉक पर हैं जाती ;
फिर एक घंटा एक्सरसाइज में बिताती ,
पूजा करती,नाश्ता बनाती ;
स्कूटी पर बैठाकर हमें घुमाकर लाती ,
चौकलेट-टॉफी जितने चाहो हमको हैं दिलवाती ,
सुपर सोनिक युग की नानी दिन में करती चैट ;
आई.पी.एल. के मैच देखकर कहती ''हाउ'स दैट ''
नानी के संग रहकर हमको आता है आनंद ,
इतनी मीठी-इतनी प्यारी जैसे ''कलाकंद''.
शिखा कौशिक
11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
kash aisee nani sabko mile.
बहुत अच्छी रचना है। वधाई
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (28.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
नानी हो तो ऐसी ).....अच्छी प्रस्तुति!
मजेदार कविता ....
बिल्कुल सही चित्रण किया है आज और आने वाले कल मे ऐसी ही नानियाँ मिलेंगी।
बहुत सुन्दर..
Behtrin prastuti
Lekin hamari nani bilkul alag hain..
aaj bhi me nani ke yaha jata hun.... mano nani ke liye sab kux me hi hun.
aaj bhi unke budhe hath mere sir ko dabate hain.
PYAARI PYAARI HAI YE NAANI
HAR NAANI SE NYAARI NAANI
हमेशा की तरह एक बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति बहुत ही बढ़िया कविता
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