दादा जी हम नाना के घर घूम के आये हैं!
दादा जी हम नाना के घर घूम के आये हैं ;
मामा ने हमें चाट-पकौड़ी खूब खिलाएं हैं .
दादा जी वहां नाना जी लगते हैं आपके जैसे ;
बिन मांगें पकड़ा देते हैं कुल्फी के लिए पैसे ,
शैतानी करने पर हमको डांट पिलायें हैं .
दादा जी हम नाना के .......
नानी माँ में दादी माँ जैसा है रूप समाया ;
नई कहानी रोज़ सुनकर नैतिक पाठ पढाया ,
आशीषें देकर हर लेती सभी बलाएं हैं .
दादा जी हम नाना के घर .........
मौसी कहती बिलकुल मम्मी जैसे लगते हो तुम ;
मामा कहते हँसो जरा क्यों बैठे रहते गुमसुम ,
चूम के माथा ,गोद उठाकर हमें घुमाएँ हैं .
दादा जी हम नाना के घर घूम के आयें हैं .
शिखा कौशिक
[मेरा आपका प्यारा ब्लॉग ]
3 टिप्पणियां:
very sweet and heart touching !!!
प्यारी सी कविता
छुट्टियों में ये घर घर की कहानी है
बहुत बढिया
एक टिप्पणी भेजें