माँ ! मुझको फौजी बनना है ;
अपने वतन पे मर -मिटना है ,
माँ मुझको फौजी बनना है .
फौज़ी वर्दी लगती है प्यारी ,
इस वर्दी की शान निराली ,
प्रण मेरा इसे धारण करना है
माँ ! मुझको फौज़ी बनना है .
दुश्मन जब आयेंगें इकट्ठे ,
सबके दांत मैं कर दूंगा खट्टे ,
शेरा बनकर टूट पड़ना है .
माँ ! मुझको फौज़ी बनना है .
जय हिंद !
शिखा कौशिक
[मेरा आपका प्यारा ब्लॉग ]
3 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर कविता ...
सुन्दर कविता.... जयहिंद...
सादर...
देश प्रेम के सुन्दर भावों से सजी सुन्दर कविता!!!
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