पिंकी बिल्ली गई थी दिल्ली ,लेकर सूटकेस ,
सूटकेस में थे गहने, कंगन, रिंग, नेकलेस ,
ऑटो में वो ज्यों ही बैठी ,साथ चढ़ा एक चोर ,
सूटकेस लेकर वो भागा , मचा जोर का शोर
पिंकी भागी उसके पीछे , मारा पीठ पे पंजा ,
चोर गिरा वही सड़क पर, पापी नीच लफंगा ,
पिंकी ने फिर गला दबाकर उसको यूँ धमकाया ,
मैं हूँ मौसी शेर की बेटा ! बोल समझ में आया ,
चोर ने डरकर पकड़ लिए बिल्ली मौसी के पैर ,
ऐसी चपल-चतुर मौसी से रखना न बच्चो बैर !
शिखा कौशिक 'नूतन '
4 टिप्पणियां:
बहुत खूब...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (17-04-2014) को "गिरिडीह लोकसभा में रविकर पीठासीन पदाधिकारी-चर्चा मंच 1584 में अद्यतन लिंक पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Pyari Kavita
Wah wah....... . ...
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