फूलों जैसे कोमल मन के
तितली जैसे चंचल हैं ,
हम बच्चे हैं प्यारे-प्यारे
सदा ह्रदय से निर्मल हैं .
होंठों पर मुस्कान सजाये
उछल-कूद हम करते हैं ,
अपनी मीठी बोली से
सबका मन हर लेते हैं .
पापा के हम राज दुलारे
माँ की आँख के तारे हैं ,
हमको ही तो सच करने
अब उनके सपने सारे हैं
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
Very nice. Childhood is golden period of life.
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
बहुत प्यारी पंक्तियाँ
तिरंगा वास्तव में भारत का मस्तक है जो सदैव ऊंचा रहना चाहिये|एक बच्चे के माध्यम से बहुत अच्छी बात कही गयी है |
बेहतरीन ....
bachpan aur wo titaliyan.
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