मानवता का ये अनुपम पाठ !
एक दिवस शैतान
वो 'मुन्ना' गया
घूमने पापा संग ;
सड़क किनारे देंखे
पिंजरे जिसमे थे
कुछ तोते बंद .
बोला -पापा इन्हें
खरीदो ;घर में
हम इन्हें रखेंगे
इनके संग संग
सुबह-शाम
खूब मजे से खेलेंगे .
पापा बोले 'मुन्ना राजा '
अगर तुम्हे मैं
घर से बाहर यहाँ
घुमाने न लाता ;
घर के भीतर ही भीतर
क्या तुमको अच्छा लग पाता ?
आओ इनको पिंजरों से
आजाद करा दें
मिलकर हम ;
खुले गगन में जब
ये विचरें ;
तब लगते हैं सुन्दरतम ,
मुन्ना बोला पापा
मेरे आप हो जग में
नंबर वन ;
आज पढाया पाठ मुझे
मानवता का ये अनुपम !
shikha kaushik
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर सीख देती कविता ....
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