हम नन्ही -नन्ही देवी हैं ;
हमको है सबसे ये कहना ;
कन्या भ्रूण को मत मारो ;
वे भी हम सबकी हैं बहना .
कन्या उज्जवल करती दो कुल ;
माता,पुत्री, पत्नी,बहना ;
नौ दिन पूजा कर लेने से
नहीं पाप तुम्हारा है धुलना .
[सभी फोटोस गूगल से साभार ]
पूजन नहीं, हमें वचन दो
ऐसे पाप को रोकोगे ;
स्वयं कभी ऐसा करने की
मन से भी ना सोचोगे .
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर कविता...आपको नवरात्रि और नव संवत्सर की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!!
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