[गूगल से साभार ]
आज ''गौरैया -दिवस '' है .हमारी प्यारी चिड़िया -''हमारे आस -पास फुदकती रहो ;
हमारे आँगन में आकर चहकती रहो ''
फुदक-फुदक कर डोल रही है
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
कितना मीठा बोल रही है ;
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
फव्वारे में नहा रही है ;
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
सबका मन बहला रही है ,
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
शिखा कौशिक
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना आजकल ये छोटी प्यारी सी चिड़िया का नामोनिशान ही नहीं दिखता जो हर आँगन में फुदक फुदक कर बचो का मन बहलाती थी |
बहुत ही प्यारी है ये कविता और इसे पढ़ कर मुझे मेरे पटना वाले घर की याद आ गयी, वहाँ हमारे घर में भी गौरैया का एक घोसला था और उसमें हमेशा गौरैया रहती थी... उसके बच्चों की घुंघरू जैसे आवाजें मुझे बहुत पसंद थी...
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