मेरी दादी बड़ी निराली ;
रखती हर ताले की ताली ,
उनके आगे पूंछ हिलाते ;
बन्दर ,कुत्ता ,बिल्ली काली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज एक बन्दर आया ;
दादी को उसने धमकाया ,
दादी ने भी दम दिखलाया ;
उठा के लाठी उसे भगाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी करती रखवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज माँ! ने मुझे डांटा ;
मार दिया था गाल पे चांटा ,
दादी ने माँ! को हडकाया ;
गोद बिठाकर मुझे चुपाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी है दिलवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
[दादी बहुत अच्छी होती है .सभी बच्चों को उनसे न केवल प्यार करना चाहिए बल्कि उनका सम्मान भी करना चाहिए .]
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
वाह शिखा दी .... मजेदार कविता और प्यारी सी सीख..... बहुत अच्छा लगा .... थैंक यू
वाह...मन लुभा लिया आपकी इस प्यारी रचना ने...
sundar!
sundar prastuti.achchhi bhavpoorn rachna.....
thanks a lot for apreciation.
very nice, acha laga pad kar..
mere blog par bhi kabhi aaiye
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