प्यारे-प्यारे दादा जी ,हमे बचाओ दादा जी ,
दादी हमसे रूठ गयी हैं ,उन्हें मनाओ दादा जी .
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प्यारे प्यारे मुन्ना जी ,एक बात बताओ मुन्ना जी ,
क्यों रूठी है दादी तुमसे ,की शैतानी मुन्ना जी ?
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हम तो क्रिकेट खेल रहे थे ,छक्का मारा दादा जी ,
गेंद उछल कर उनके लग गयी ,
हम क्या करते दादा जी ?
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प्यारे प्यारे मुन्ना जी ,माफ़ी मांगों मुन्ना जी ,
कान पकड़कर ;मुर्गा बनकर ,उन्हें मनाओ मुन्ना जी .
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प्यारी प्यारी दादी जी ,कान पकड़ते दादी जी ,
अब ऐसे न हम खेलेंगे ,करते वादा दादी जी .
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प्यारे प्यारे मुन्ना जी ,माफ़ किया तुम्हे मुन्ना जी ,
चोट किसी के नहीं मरते ,बात समझ लो मुन्ना जी .
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शिखा कौशिक
बच्चे भगवान का स्वरुप होते हैं.उनके संसार में दुःख ,निराशा का कोई स्थान नहीं होता और न ही होना चाहिए.बच्चों के साथ रहकर सभी अपने दुःख भूल जाते हैं.भगवान के इन्ही नन्हे फरिश्तों के लिए ये ब्लॉग........
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मंगलवार, 21 दिसंबर 2010
मंगलवार, 14 दिसंबर 2010
मेरी दादी
मेरी दादी बड़ी निराली ;
रखती हर ताले की ताली ,
उनके आगे पूंछ हिलाते ;
बन्दर ,कुत्ता ,बिल्ली काली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज एक बन्दर आया ;
दादी को उसने धमकाया ,
दादी ने भी दम दिखलाया ;
उठा के लाठी उसे भगाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी करती रखवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज माँ! ने मुझे डांटा ;
मार दिया था गाल पे चांटा ,
दादी ने माँ! को हडकाया ;
गोद बिठाकर मुझे चुपाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी है दिलवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
[दादी बहुत अच्छी होती है .सभी बच्चों को उनसे न केवल प्यार करना चाहिए बल्कि उनका सम्मान भी करना चाहिए .]
शिखा कौशिक
रखती हर ताले की ताली ,
उनके आगे पूंछ हिलाते ;
बन्दर ,कुत्ता ,बिल्ली काली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज एक बन्दर आया ;
दादी को उसने धमकाया ,
दादी ने भी दम दिखलाया ;
उठा के लाठी उसे भगाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी करती रखवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
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एक रोज माँ! ने मुझे डांटा ;
मार दिया था गाल पे चांटा ,
दादी ने माँ! को हडकाया ;
गोद बिठाकर मुझे चुपाया ,
मैं बोला फिर बजा के ताली ;
मेरी दादी है दिलवाली ,
मेरी दादी बड़ी निराली !
[दादी बहुत अच्छी होती है .सभी बच्चों को उनसे न केवल प्यार करना चाहिए बल्कि उनका सम्मान भी करना चाहिए .]
शिखा कौशिक
शनिवार, 4 दिसंबर 2010
bachche hain phool
[गूगल से साभार ] |
फूल के जैसे प्यारे होते,फूल के जैसे कोमल.
मिलकर इनसे खिल जाता है मेरे जीवन का हर पल,
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फूल की भांति सुगंध बिखेरें फूल की भांति हँसते,
फूल की भांति प्यार दिखाकर सबसे खुश हो मिलते.
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बच्चों आप के बारे में ही कहूं मैं मन से हंसकर,
आप आयें तो आती हैं खुशियाँ सबके घर-घर.
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